बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञान बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 राजनीति विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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तुलनात्मक सरकार और राजनीति : यू के, यू एस ए, स्विटजरलैण्ड, चीन
प्रश्न- न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं? इसके प्रमुख कार्यों का वर्णन कीजिए।
सम्बन्धित लघु / अति लघु उत्तरीय प्रश्न
1. न्यायपालिका से आप क्या समझते हैं?
2. न्यायपालिका के महत्व पर प्रकाश डालिए।
3. न्यायपालिका के प्रमुख कार्य बताइये?
4. न्यायपालिका किस प्रकार व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं अधिकारों की रक्षा करती है?
5. न्यायपालिका को स्वतंत्र व निष्पक्ष क्यों होना चाहिए?
6. न्यायपालिका की स्वतंत्रता के महत्व पर प्रकाश डालिए।
7. न्यायाधीशों का चयन किन-किन विधियों से होता है।
उत्तर -
न्यायपालिका
न्यायपालिका का महत्व - राज्य के आदिकाल से लेकर आज तक किसी न किसी रूप में न्याय विभाग का अस्तित्व सदैव ही रहा है और सामान्य जनता के दृष्टिकोण से न्यायिक कार्य का संपादन सर्वाधिक महत्व रखता है।
साधारण अर्थ में विधियों की व्याख्या करने व उनका उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों को दंडित करने की संस्थागत व्यवस्था को न्यायपालिका कहा जाता है। प्रो० लास्की के अनुसार, "एक राज्य की न्यायपालिका अधिकारियों को ऐसे समूह के रूप में परिभाषित की जा सकती है, जिनका कार्य राज्य के किसी कानून विशेष के उल्लंघन या तोड़ने सम्बन्धी शिकायत का, जो विभिन्न लोगों के बीच या नागरिकों व राज्यों के बीच एक-दूसरे के विरुद्ध होती है, समाधान व फैसला करता है।'
न्यायपालिका के कार्य - न्यायपालिका के प्रमुख कार्य निम्न प्रकार हैं-
1. अभियोगों का निर्णय - विभिन्न व्यक्तियों में विचारों और स्वार्थों का भेद होने के कारण व्यक्तियों के बीच दीवानी, फौजदारी और माल सम्बन्धी विवाद उत्पन्न होते रहते हैं।
2. कानूनों की व्याख्या करना - कानूनों की भाषा सदैव स्पष्ट नहीं होती और अनेक बार इस संबंध में अनेक प्रकार के विवाद उत्पन्न हो जाते हैं। इस प्रकार की प्रत्येक परिस्थिति में कानूनों की अधिकारपूर्ण व्याख्या करने का कार्य न्यायपालिका के द्वारा ही किया जाता है। न्यायाधीश अपने विवेकानुसार कानूनों की व्याख्या करते हैं और उनके अर्थ को स्पष्ट करते हैं।
3. व्यक्ति की स्वतन्त्रता एवं अधिकारों की रक्षा - व्यक्तियों की स्वतंत्रता मंन दो तरह की बाधा उपस्थित हो सकती है - अन्य व्यक्तियों द्वारा या राज्य द्वारा न्याय विभाग इन दोनों ही बाधाओं को दूर करते हुए व्यक्ति की स्वतंत्रता एवं अधिकारों की रक्षा करता है।
4. संविधान की रक्षा - संविधान की रक्षा करने का उत्तरदायित्व न्यायपालिका का होता है। यदि विधायिका ऐसा कानून पारित करती है जो संविधान की भावना के प्रतिकूल हो तो न्यायपालिका उस कानून को असंवैधानिक घोषित करते हुए संविधान की रक्षा का कार्य करती है।
5. औचित्य के आधार पर कानून निर्माण - न्यायालय में अनेक ऐसे विवाद उपस्थित होते हैं, जिनका निर्णय वर्तमान कानून हरा नहीं किया जा सकता है।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता - न्यायपालिका अनेक कार्यों को सम्पन्न करती है। लोकतंत्र के विस्तार के साथ न्यायपालिका के कार्य क्षेत्र में भी विस्तार हुआ है। न्यायपालिका न केवल अभियोगों का निर्णय करती है बल्कि संविधान व कानूनों की भी व्याख्या करती है। संघात्मक संविधानों में संविधान की रक्षा व सर्वोच्चता बनाये रखने का कार्य भी न्यायपालिका का है। भारत व अमेरिका जैसे देशों में न्यायपालिका को न्यायिक पुनरावलोकन का अधिकार है जिसका प्रयोग कर वह संविधान विरोधी कानूनों को अवैध ठहरा सकती है।
न्यायपालिका की स्वतंत्रता का महत्व
1. संविधान की रक्षा हेतु - संविधान की रक्षा का भार न्यायपालिका पर ही होता है, लेकिन न्यायपालिका संविधान की रक्षा का यह दायित्व उसी समय भली-भांति निभा सकती है, जबकि वह स्वतंत्र और निष्पक्ष हो।
2. नागरिक अधिकारों की रक्षा हेतु - पुराने समय में कार्यपालिका अर्थात् निरंकुश राजाओं की निरंकुशता की प्रवृत्ति थी।
3. न्याय की रक्षा हेतु - न्यायपालिका का सबसे प्रमुख कार्य कानूनों की व्याख्या करते हुए न्याय दान करता है और न्यायपालिका यह कार्य तभी भली-भाँति कर सकती है, जबकि वह स्वतंत्र एवं निष्पक्ष एवं व्यवस्थापिका एवं कार्यपालिका के नियंत्रण से पूर्णतया मुक्त हो।
4. लोकतंत्र की रक्षा हेतु - लोकतंत्र एक सीमित और मर्यादित शासन व्यवस्था का नाम है और सन को मर्यादा में रखने का कार्य एक स्वतंत्र न्यायपालिका द्वारा ही किया जा सकता है। इसके अरिक्त स्वतंत्रता एवं समानता लोकतंत्रीय शासन के प्रतीक होते हैं।
न्यायाधीशों का चयन
1. कार्यपालिका द्वारा नियुक्ति - भारत तथा अमरीका में न्यायाधीशों की नियुक्ति मुख्य कार्यपालिका द्वारा एक निश्चित समय के लिए की जाती है। राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को नियुक्त करता है किन्तु उन्हें हटा नहीं सकता।
2. विधायिका द्वारा निर्वाचन - इस पद्धति में न्यायाधीशों की नियुक्ति का आधार उनका कानूनी ज्ञान एवं अनुभव, निष्पक्षता और योग्यता नहीं वरन् राजनीतिक दल के नेताओं की कृपा होती है और कतिपय देशों में विधायिका के सदस्यों द्वारा न्यायाधीशों का निर्वाचन किया जाता है।
3. जनता द्वारा निर्वाचन - मॉण्टेस्क्यू के शक्ति पृथक्करण- सिद्धान्त से प्रभावित होने के कारण सर्वप्रथम फ्रांस में न्यायाधीशों के जनता द्वारा निर्वाचित होने की पद्धति को अपनाया गया था। न्यायाधीशों को जनता द्वारा चुना जाता है। स्विट्जरलैंड के कुछ कैण्टनों और अमरीका के कुछ राज्यों में यह व्यवस्था विद्यमान है।
4. पद की सुरक्षा - न्यायाधीशों को पद से हटाने की सरल प्रक्रिया नहीं होनी चाहिए। न्यायाधीशों के अपदस्थ करने की कठोर व्यवस्था होनी चाहिए जिससे इसका दुरुपयोग न किया जा सके।
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- प्रश्न- ब्रिटेन में राजनीतिक दलों के संगठन, कार्यक्रम एवं उनकी भूमिका को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के राजनैतिक कारणों का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के मनोवैज्ञानिक कारणों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- ब्रिटेन में राजपद के अन्तर्राष्ट्रीय कारणों का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- मंत्रिमण्डल की व्यावहारिक स्थिति का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- मंत्रिमण्डल एवं क्राउन के सम्बन्ध को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- प्रिवी काउन्सिल की न्यायिक समिति का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- अमेरिकी कांग्रेस की शक्ति एवं कार्यों का उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- अमेरिका में राजनीतिक दलों के उद्भव एवं विकास का वर्णन कीजिए।
- प्रश्न- अमेरिका की राजनीतिक व्यवस्था में राजनीतिक दलों की क्या भूमिका है?
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- प्रश्न- सीनेट के महत्व पर प्रकाश डालिये।
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- प्रश्न- प्रतिनिधि सभा की दुर्बलता के कारण बताइये।
- प्रश्न- संघीय न्यायपालिका कितने प्रकार की होती है?
- प्रश्न- संघीय न्यायलय क्यों आवश्यक है? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जिला न्यायालय पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- संघीय अपील न्यायालय पर प्रकाश डालिये।
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